जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती:- जियो और जीने दो का संदेश सदैव सार्थक----- कैलाश चन्द जैन
Lord Mahavir Swami
चंडीगढ़ : भारतीय जनता पार्टी(Bharatiya Janata Party) के प्रदेश प्रवक्ता एवं उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ के अध्यक्ष कैलाश चंद जैन(Kailash Chand Jain) ने जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक महावीर जयंती(Mahavir Jayanti) की बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी हैं।
आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में कैलाश चंद जैन ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी(Lord Mahavir Swami) ने आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए जियो और जीने देगा मंत्र दिया था जिसकी राह पर चलकर पूरे विश्व में शांति व भाईचारा फैलाया जा सकता है । भगवान महावीर के द्वारा दिए गए पांच महाव्रत सत्य , अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, ओचार्य आज भी पूरी तरह से तर्कसंगत है । भगवान महावीर ने किसी भी प्रकार की हिंसा न करने को कहा है यहां तक कि भाव हिंसा को भी मना किया है। उन्होंने कहा था कि पेड़ पौधों में भी जान होती है लगभग 2600 वर्ष पूर्व कही गई इस बात को आज वैज्ञानिक व पर्यावरणविद भी मानते हैं और पेड़ पौधों को बचाने की बात करते हैं, यही बात भगवान महावीर स्वामी ने लगभग 2600 वर्ष पूर्व कही थी । भगवान महावीर का संदेश इस लोक में जितने भी जीव है एक , दो तीन, चार, पंच व छ इंद्रिय जीव की रक्षा करनी चाहिए उनको पथ पर जाने से नही रोकना चाहिए उनके प्रति अपने मन में दया भाव रखना ही अहिंसा है।
किसी व्यक्ति द्वारा सजीव या निर्जीव वस्तुओं का आवश्यकता से अधिक संग्रह करना परिग्रह हैं जबकि किसी प्रकार के संग्रह न करने को अपरिग्रह कहते है। परिग्रह से हम अपने आप को दुखो व तनावों से भर देते हैं जबकि अपरिग्रह गसे सदा सुखी रहते हैं व दूसरे व्यक्ति का हक भी नहीं मारते।
भगवान महावीर स्वामी ने ब्रह्मचर्य के बारे में अपने बहुत ही अमूल्य उपदेश दिए हैं कि ब्रह्मचार्य उत्तम तपस्या नियम ज्ञान दर्शन चरित्र संयम और विनय की जड़ है ।
जब मनुष्य स्वयं सब जीवो से क्षमा चाहता है और दूसरे सब जीवो को क्षमा करने का पालन करता है तो हमारे हृदय परिवर्तन होंगे और संसार में किसी प्रकार के झगड़े नहीं रहेंगे।
धर्म सबसे उत्तम है अहिंसा संयम और तप ही धर्म है जिसके मन में हमेशा धर्म रहता है उसे देवता भी नमस्कार करते हैं ।
कैलाश जैन ने कहा है कि भगवान महावीर द्वारा दिए गए इन पांचों मंत्रों को जीवन में धारण करके ही मनुष्य भगवान को प्राप्त कर सकता है तथा इन्हीं मूल मंत्रों से ही संसार में शांति अमन चैन तथा भाईचारा कायम रह सकता है।
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